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प्रातः कालीन श्रृंखला "सावन" से पाँच दोहे- ~~~~~~~

प्रातः कालीन श्रृंखला "सावन" से पाँच दोहे-
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सावन
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सावन है बरसात से, हरियाला खुशहाल।
तीज मनें त्योहार सी, होता दूर अकाल।।

उमड़ घुमड़ बादल चढ़े, हुई गर्जना घोर।
लगा बरसने जोर से, ले ले मेह हिलोर।।

खोली अंजुल इन्द्र ने, घटा चढ़ी घनघोर।
पवन चली धर वारिधर, बरसाने हर ओर।।

दमक रही है दामिनी, गगन हुआ है लाल।
छिड़ी मेघ मल्हार है, सलिल भिगोये गाल।।

धार बनी है नीर की, ज्यों हो झरना धार।
ताल सरोवर सब भरे, हो खेत सरोबार।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
 #दोहा #दोहे #सावन #सावनकामहीना #glal #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह
प्रातः कालीन श्रृंखला "सावन" से पाँच दोहे-
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सावन
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सावन है बरसात से, हरियाला खुशहाल।
तीज मनें त्योहार सी, होता दूर अकाल।।

उमड़ घुमड़ बादल चढ़े, हुई गर्जना घोर।
लगा बरसने जोर से, ले ले मेह हिलोर।।

खोली अंजुल इन्द्र ने, घटा चढ़ी घनघोर।
पवन चली धर वारिधर, बरसाने हर ओर।।

दमक रही है दामिनी, गगन हुआ है लाल।
छिड़ी मेघ मल्हार है, सलिल भिगोये गाल।।

धार बनी है नीर की, ज्यों हो झरना धार।
ताल सरोवर सब भरे, हो खेत सरोबार।।

✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
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