#तब आओगी क्या चांद की तरह चांदनी रात मे अकेला हो जाऊ तब आओगी क्या... अमिर नही सही ढलती शाम हो जायेगे तब आओगी क्या... इस दुनिया मे आंसु पोछने वाला ना मिलेगा तब आओगी क्या... मेरी निगाहो से बचके निकल जाओगे दर्द नही सहेगा तब आओगी क्या... शहर मे चर्चे तेरे शादी के , बनके दुल्हन तब आओगी क्या... जिंदगी से जुदा कर उड जायेंगे पंछी की तरह तब आओगी क्या... #युगेंद्र अशोक काकडे. ©Yugendra Kakade #shadesoflife