निभाना जिनके फितरत मे था ही नही वही वादे हजार करते रहे। मैं डूबता रहा इश्क के दलदल में और वो मरने का इंतजार करते रहे। वो तैयारियां भी कर लिए इस कदर मुझे दफनाने का विवेक , दो गज का कफ़न भी नसीब ना हुआ और वो श्रृंगार करते रहे। ✍विवेक #झूठे वादे