चलो आज इस शहर से कहीं दूर चलते हैं इक ऐसे जहाँ जो मेरे ख्वाबों से मिलती है। बेरहम खुदगर्ज़ी इस दुनिया से कहीं दूर खुशियों का संगम हो जहाँ उस ओर चलते हैं। इंसानियत धर्म हो जहाँ हर भेदभाव से परे दुनिया के इस छोर से उस छोर चलते हैं।। हर गम को भुलाकर नई शुरुआत करते हैं छोड़ के निराशा मन में नई आश भरते हैं। दुनिया की भीड़ से दूर खुद ही से मिलते हैं चलो आज इस शहर से कहीं दूर चलते हैं।। ©𝓓𝓮𝓮𝓹 𝔀𝓸𝓻𝓭𝓼.... #ख्वाबों_की_दुनिया #faraway राधे.....राजपूत...💞 Darshan राaj...✍️