सुनसान सड़क पे दहशत सी रहती है, हैवान नजरें उसके बदन को चूमती है। भीड़ के साये में, अँधेरे के चिलमन में, लूटी जाती है आबरू। सोचो ज़रा उन बच्चियों का जो उस राह से गुजरती हैं, कुछ ने बयाँ किये वो भयावह मंजर, कुछ ने समझा चुप रहना बेहतर। #shame on humanity.. 4th poetry #HappyDaughtersDay2020