ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं ग़म फुरसत में थे ठहर गए, लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है, पहले मुड़ कर देखते थे अब देख कर मुड़ जाते है, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,,