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जिंदगी है उलझी मेरी, और अपने हैं खफा ! सोच के खुद

जिंदगी है उलझी मेरी, 
और अपने हैं खफा !
सोच के खुद को अकेले, 
क्यों अकेले हैं सदा !!

दिन वो ठोकर मार देती, 
है वो काली रात में !
भीग के ठिठुरे पड़े थे, 
घोर -घनी बरसात में !!

आदमी भी आदमी से, 
है वो नफरत क्यों भला !
सोच के खुद को अकेले, 
क्यों अकेले हैं सदा !! 
                       :-  संतोष  'साग़र' Aaisha rana Ritika Gupta बेनाम शायर Sugandha Kumari Supriya Pandey Pratibha Tiwari(smile)🙂
जिंदगी है उलझी मेरी, 
और अपने हैं खफा !
सोच के खुद को अकेले, 
क्यों अकेले हैं सदा !!

दिन वो ठोकर मार देती, 
है वो काली रात में !
भीग के ठिठुरे पड़े थे, 
घोर -घनी बरसात में !!

आदमी भी आदमी से, 
है वो नफरत क्यों भला !
सोच के खुद को अकेले, 
क्यों अकेले हैं सदा !! 
                       :-  संतोष  'साग़र' Aaisha rana Ritika Gupta बेनाम शायर Sugandha Kumari Supriya Pandey Pratibha Tiwari(smile)🙂