दुनिया के मोह माया को त्याग ना, ए मनुष्य तू अपने आप से भाग ना, जीवन के संघर्ष रूपी चक्रव्यूह को, पूरी बुद्धि और सूझबूझ से भेदना। चाहत की उम्मीदों पर डाल दे कफन, हसरतों को पनपने ना दें, कर दफन, यह दुनिया बड़ी जालिम है साहब, मुस्कुराने की सजा देगी चाहे करो यत्न। दिल में प्यार की जगी हैं कशिश, उस पर कातिल मौसम की साजिश, अचानक से करवट ले गया, न जाने क्यों, दिलों में चुपके से पल रही जैसे कोई रंजिश। आजकल के रिश्तो में दिखावा है प्यार नहीं, रिश्तो का जायका कड़वा है स्वाद नहीं, क्यों फीके पड़े पकवान, मुंह का स्वाद बिगड़ गया, अंदर से शैतान जिंदा है अब दुनिया में इंसान नहीं। हर पहर देखो पनपने लगा है मौत का साया, खिल से कली फूल बन पाता, फूल डर गया, लूट ना लें बहार रुसवाई की, पतझड़ से नहीं घबराता हालात देख ज़माने की मासूम जैसे सहम गया। #कोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #kkदुनिया