part _2 मुझे जलन होती थी उनसे जो आपके करीब होते थे ना जाने कब होगी अपनी दोस्ती बस हम यही सोचा करते थे रोज बस मे आपको छुप छुप कर देखा करते थे अब आपके करीब आने का एक ही बहाना था जिसके लिए मुझे आपके साथ ट्रूसन पर आना था मेरा मन तो अब खुशी के मारे झूम रहा था पागलो की तरह अपनी किताबो को चूम रहा था आपको देखने के लिए मेरा दिल इतना बेताब था की कोई भी पढ सकता था मेरे मन को जैसे की खुली किताब था अगले दिन ट्रूसन पर मेरा पहला दिन था आपको गर्लफ्रैंड बनाना था बस अब यही मेरा ड्रीम था शुरु वाले दिन तो मैं शर्म के मारे बहुत शान्त था मैं अकेला नही था मेरे साथ मेरा जिगरी प्रशांत था to be continioue वो भी क्या दिन part 2