#OpenPoetry जब तक उसकी आँखों मैंने खुद को देखा था, सुकून से रहा करता था, अब उसकी आँखों मे देखता हूँ तो मुझे किसी और का अक्स नज़र आता है। ऐसा कब हुआ ? बस यही सोच कर अब मैं बेचैन ही रहता हूँ। जब तक उसकी आँखों मैंने खुद को देखा था, सुकून से रहा करता था, अब उसकी आँखों मे देखता हूँ तो मुझे किसी और का अक्स नज़र आता है। ऐसा कब हुआ ? बस यही सोच कर अब मैं बेचैन ही रहता हूँ। . . . .