नही अगर कागज़ के गम में हिस्सेदार होते हो, बताओ कौन पढ़ने वाले तुम अखबार होते हो। नही सुलझा सको तो फिर कभी उलझाना मत, खड़ी अपनों में करने वाले कौन दीवार होते हो। गिरा सिक्का न जाने कौन उठाकर ले गया , तुम्हे मौका न मिला तो बड़े ईमानदार होते हो। कहे वादे तुम्हारे आजतक वादे ही रह गए, सियासत वालों तुम सब क्यों इतने लाचार होते हो। न गिन के रोटी खाते हैं,न चेहरा पढ़ना आता है वो कहतें है कि तुम गाँव वाले बहुत गँवार होते हो। --------हर्षित #NojotoQuote #nojoto hindi#hindi gazal#poetry#shayri#dil ki baat#open mic