फ़िदा हूं तुझपे अब नीदें रातों की उड़ी जाने कौन सी किस्मत की डोर है जुड़ी लगती मुझे अब तो रूह भी मेरी पराई ज़िन्दगी भी उसके ही नाम अब बस हुई हां इस संगीन जुर्म की सज़ा उसे मिलेगी रहेगा मेरे इश्क़ के गिरफ्त में उम़ वो सारी पुर-नूर ख़्बाब भी यूं कुछ ऐसी हक़ीक़त हुए उसकी धड़कन मुझसे ज़्यादा बात करने लगी। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1020 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।