तलवार का घाव भरता है पर बात का घाव नहीं भरता कमान से निकली तीर जबान से फिसली बात फिर वापस नहीं आता। चोट पहुँचेे शरीर को तो धीरे धीरे वो भर जाता। मन आत्मा को चोट जो पहुँचे ताउम्र फिर वो नहीं भर पाता। शरीर के दर्द का निवारण दवा औषधि मरहम से हो जाता। किंतु मन आत्मा के दर्द का इलाज़ हम सबको मिल नहीं पाता। इसलिए सोच समझ कर जुबान से मीठी वाणी बोलिए। सबके हृदय पटल पर फिर शान से राज़ कीजिए। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_476 👉 तलवार का घाव भरता है पर बात का घाव नहीं भरता लोकोक्ति का अर्थ - मर्मभेदी बात आजीवन नहीं भूलती। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखने के बाद यहाँ Done काॅमेंट करें।