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घूंघट में चाँद आरही है , जारही है निंदो को यूँह

घूंघट में चाँद आरही है , जारही है 
निंदो को   यूँही उरारही ,
यादो  के  सहारे तेरी याद आरही हैं
चाँद  छिपने  लगा काले बदलो में 
चाँदनी का धुंधना अफ़शानो में ,
एक प्रेम की अनुभूति करा रही हैं
हमारे प्रेम की उम्मीद कही सजा रही हैं!
सिमरन सोनू की मेल कही 
दिखा रही है |

...कवी सोनू #Ghoonghat
घूंघट में चाँद आरही है , जारही है 
निंदो को   यूँही उरारही ,
यादो  के  सहारे तेरी याद आरही हैं
चाँद  छिपने  लगा काले बदलो में 
चाँदनी का धुंधना अफ़शानो में ,
एक प्रेम की अनुभूति करा रही हैं
हमारे प्रेम की उम्मीद कही सजा रही हैं!
सिमरन सोनू की मेल कही 
दिखा रही है |

...कवी सोनू #Ghoonghat