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प्रतिदिन जलाती हूं, तुम्हारे नाम का दीया, - सुलगती

प्रतिदिन जलाती हूं,
तुम्हारे नाम का दीया,
- सुलगती है बाती,
जलता है तेल,
- किंतु -
सच मानो तो,
तुम्हारी स्मृतियों की तपन से,
हौले - हौले 
पिघल रहे हैं,
मेरी संवेदनाओ के
- ग्लेशियर..!!

©अनहद गुंजन #ग्लेशियर 

#Travel
प्रतिदिन जलाती हूं,
तुम्हारे नाम का दीया,
- सुलगती है बाती,
जलता है तेल,
- किंतु -
सच मानो तो,
तुम्हारी स्मृतियों की तपन से,
हौले - हौले 
पिघल रहे हैं,
मेरी संवेदनाओ के
- ग्लेशियर..!!

©अनहद गुंजन #ग्लेशियर 

#Travel