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श्री गणेशाय नम: मेरे देव! प्रेम के वनों में रहत

श्री गणेशाय नम: मेरे देव!
  
प्रेम के वनों में रहते हो साथ मेरे निरंतर ही सृष्टि के हर चक्र में और इतने विघटन के बाद भी मैं लिपट जाता हूँ तुमसे अमरबेल की तरह... 

मै जो हो जाता हूँ पलाश जैसा सुर्ख, 
रक्त इतनी लाल तुम्हारी गहरी आंखो की छुअन से... 

तुम इन प्रेमिय वनों की अंतिम आवृति को भी सौंप देना मेरे आंचल में कुछ लाल पुष्प कुछ अक्षत डालकर... 

हम मोह से परे प्रेम के यज्ञ में होंगे  अपने मिलन के लिए...

©Er.Shivam Tiwari
  #मेरे_देव!  
प्रेम के वनों में रहते हो साथ मेरे निरंतर ही सृष्टि के हर चक्र में और इतने विघटन के बाद भी मैं लिपट जाता हूँ तुमसे अमरबेल की तरह... 

मै जो हो जाता हूँ पलाश जैसा सुर्ख, रक्त इतनी लाल तुम्हारी गहरी आंखो की छुअन से... 

तुम इन प्रेमिय वनों की अंतिम आवृति को भी सौंप देना मेरे आंचल में कुछ लाल पुष्प कुछ अक्षत डालकर... 

हम मोह से परे प्रेम के यज्ञ में होंगे  अपने मिलन के लिए...

#मेरे_देव! प्रेम के वनों में रहते हो साथ मेरे निरंतर ही सृष्टि के हर चक्र में और इतने विघटन के बाद भी मैं लिपट जाता हूँ तुमसे अमरबेल की तरह... मै जो हो जाता हूँ पलाश जैसा सुर्ख, रक्त इतनी लाल तुम्हारी गहरी आंखो की छुअन से... तुम इन प्रेमिय वनों की अंतिम आवृति को भी सौंप देना मेरे आंचल में कुछ लाल पुष्प कुछ अक्षत डालकर... हम मोह से परे प्रेम के यज्ञ में होंगे अपने मिलन के लिए... #Thoughts #Banaras #nojotohindi #nojotoapp #प्रभु

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