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जीवन में कुछ... जीवन में कुछ, यदि बनना सबसे पहले

जीवन में कुछ... 

जीवन में कुछ, यदि बनना
सबसे पहले, इक नदी बनना
सतत जीवन का, आधार हैं नदियाँ
जीवनभर जीवन की, गति बनना
निकलना पडे़गा, तोड़कर पत्थरों को
चलना  पडे़गा,  सींचकर  बंजरों  को
नूतन नव चेतन की, कृति बनना
जीवन में कुछ... 

*****
जीवन में कुछ, यदि करना
सबसे पहले खुद, खुदी रखना
प्रखर जीवन का, आकार है आत्मा
जीवनभर जीवन की, प्रति बनना
जलना पडे़गा, ओढ़कर अंधेरों को
उगना पडे़गा, चीरकर  तिमिरों को
पतन के शमन की, विधि बनना
जीवन में कुछ... 

*****
जीवन में कुछ, यदि रखना
सबसे पहले धैर्य, मही रखना
समग्र जीवन का, साभार है धरती
जीवनभर जीवन की, यति बनना
रहना पडे़गा, थामकर थपेड़ों को
जमना पडे़गा, बांधकर मेड़ों  को
अनवरत सृजन की, निधि बनना
जीवन में कुछ... 

*विपिन कुमार सोनी, 
प्रयागराज(इलाहाबाद)

शब्दार्थ:
खुदी - आत्मसम्मान, मही - पृथ्वी, यति - त्यागी/संन्यासी

©विपिन कुमार सोनी #जीवनमेंकुछ
जीवन में कुछ... 

जीवन में कुछ, यदि बनना
सबसे पहले, इक नदी बनना
सतत जीवन का, आधार हैं नदियाँ
जीवनभर जीवन की, गति बनना
निकलना पडे़गा, तोड़कर पत्थरों को
चलना  पडे़गा,  सींचकर  बंजरों  को
नूतन नव चेतन की, कृति बनना
जीवन में कुछ... 

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जीवन में कुछ, यदि करना
सबसे पहले खुद, खुदी रखना
प्रखर जीवन का, आकार है आत्मा
जीवनभर जीवन की, प्रति बनना
जलना पडे़गा, ओढ़कर अंधेरों को
उगना पडे़गा, चीरकर  तिमिरों को
पतन के शमन की, विधि बनना
जीवन में कुछ... 

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जीवन में कुछ, यदि रखना
सबसे पहले धैर्य, मही रखना
समग्र जीवन का, साभार है धरती
जीवनभर जीवन की, यति बनना
रहना पडे़गा, थामकर थपेड़ों को
जमना पडे़गा, बांधकर मेड़ों  को
अनवरत सृजन की, निधि बनना
जीवन में कुछ... 

*विपिन कुमार सोनी, 
प्रयागराज(इलाहाबाद)

शब्दार्थ:
खुदी - आत्मसम्मान, मही - पृथ्वी, यति - त्यागी/संन्यासी

©विपिन कुमार सोनी #जीवनमेंकुछ