बिते लंम्हे मुहोब्बत के, आज याद आ गयें. . आंसु बनके निगाहों से, बारिश जैसे बरस गयें. . © रोशन पाटील विवेक ( शंकरसुत) अश्लेष माडे (प्रीत कवी )