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लाँक डाउन वाे क्या है???? अनुशीर्षक में पढ

लाँक डाउन 
   वाे क्या है????




अनुशीर्षक में पढे_ अलसायी और बाेरिग सी दाेपहर,समझ नहीं आ रहा था क्या करूं ??
सब लम्बी तान कर साे रहे थे। रात भर लैपटाँप और माेबाईल चलाने पर दाेपहर में नींद स्वाभाविक भी है।Tv देखने का भी मन नहीं किया ।समाचार सुन-सुन कर मन में एक अन्जाना सा भय व्यापत हाे जा रहा है।
मैने साेचा चलाे किसी दाेस्त से गप्प लगाया जाये,पर मुझे लगा शायद वाे लाेग भी साे रही हाे,ताे ये आईडिया भी स्थगित करना पड़ा।
फिर अचानक ध्यान में आया कि गाँव वाली भाभी से बात किये हुये अरसा हाे गया ,क्यूं न आज उनसे हीं बात करूं।
मैने काँल लगाया उधर से भाभी की खनखनाती आवाज सुनायी पडी-कैसी हाे बउवां जी?
आज हमारी याद कैसे आयी(मेरे गाँव का रीवाज है की बहुएं बेटीयाें काे नाम से नहीं पुकारती चाहे वह उम्र में छाेटी हीं क्यू न हाे)
मैने कहां आज आपकी याद आ गयी ताे साेची बात कर हीं लूं।
और घर में सब कैसे है ?चाचाजी चाची जी,और भाई सब।
लाँक डाउन 
   वाे क्या है????




अनुशीर्षक में पढे_ अलसायी और बाेरिग सी दाेपहर,समझ नहीं आ रहा था क्या करूं ??
सब लम्बी तान कर साे रहे थे। रात भर लैपटाँप और माेबाईल चलाने पर दाेपहर में नींद स्वाभाविक भी है।Tv देखने का भी मन नहीं किया ।समाचार सुन-सुन कर मन में एक अन्जाना सा भय व्यापत हाे जा रहा है।
मैने साेचा चलाे किसी दाेस्त से गप्प लगाया जाये,पर मुझे लगा शायद वाे लाेग भी साे रही हाे,ताे ये आईडिया भी स्थगित करना पड़ा।
फिर अचानक ध्यान में आया कि गाँव वाली भाभी से बात किये हुये अरसा हाे गया ,क्यूं न आज उनसे हीं बात करूं।
मैने काँल लगाया उधर से भाभी की खनखनाती आवाज सुनायी पडी-कैसी हाे बउवां जी?
आज हमारी याद कैसे आयी(मेरे गाँव का रीवाज है की बहुएं बेटीयाें काे नाम से नहीं पुकारती चाहे वह उम्र में छाेटी हीं क्यू न हाे)
मैने कहां आज आपकी याद आ गयी ताे साेची बात कर हीं लूं।
और घर में सब कैसे है ?चाचाजी चाची जी,और भाई सब।
mamtasingh9974

Mamta Singh

Bronze Star
New Creator

अलसायी और बाेरिग सी दाेपहर,समझ नहीं आ रहा था क्या करूं ?? सब लम्बी तान कर साे रहे थे। रात भर लैपटाँप और माेबाईल चलाने पर दाेपहर में नींद स्वाभाविक भी है।Tv देखने का भी मन नहीं किया ।समाचार सुन-सुन कर मन में एक अन्जाना सा भय व्यापत हाे जा रहा है। मैने साेचा चलाे किसी दाेस्त से गप्प लगाया जाये,पर मुझे लगा शायद वाे लाेग भी साे रही हाे,ताे ये आईडिया भी स्थगित करना पड़ा। फिर अचानक ध्यान में आया कि गाँव वाली भाभी से बात किये हुये अरसा हाे गया ,क्यूं न आज उनसे हीं बात करूं। मैने काँल लगाया उधर से भाभी की खनखनाती आवाज सुनायी पडी-कैसी हाे बउवां जी? आज हमारी याद कैसे आयी(मेरे गाँव का रीवाज है की बहुएं बेटीयाें काे नाम से नहीं पुकारती चाहे वह उम्र में छाेटी हीं क्यू न हाे) मैने कहां आज आपकी याद आ गयी ताे साेची बात कर हीं लूं। और घर में सब कैसे है ?चाचाजी चाची जी,और भाई सब।