कभी समय ने रुलाया तो कभी सराया कभी तन्हाई का साथी बना तो कभी मोतका मुक़दर बना. कभी गमको भुलाया तो कभी एकपल ऐक साल बनाया. ये वक्त तू घड़ी मेथा या मुझे सभालनेमे जुटाथा तू तो अजब वक्तकी गजब कहानी बना किसीके लिए नहीं रुकनेवाली पहेली.