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तुम्हें लिखने की कोशिश, न जाने कबसे कर रहा हूँ..!

 तुम्हें लिखने की कोशिश,
न जाने कबसे कर रहा हूँ..!

मोहब्बत हुई भी न थी तुमसे,
शायद तब से कर रहा हूँ..!

ख़्वाबों की अलग एक,
बनाई थी सुन्दर दुनिया..!

उसी में प्रेम से रहने के लिए,
हरपल मर रहा हूँ..!

दिल मेरा अब हो गया तुम्हारा,
सुख का समुन्दर मन में भर रहा हूँ..!

तुम्हें पाकर हो जाना है,
मुझे भी दौलतमंद यूँ ही..!

धर के दिल में तुमको मैं,
ख़ुद को तुम्हारा घर कर रहा हूँ..!

©SHIVA KANT
  #Hum #tumhenpaanekikoshish