जलते थे जहां सपने, शहरी मसान थे महंगी तराशी के, खोखले मकान थे वो बस फूलों से, हमारा हाल पूछते रहे हमारे जिस्म पर, कांटों के निशान थे #मसान #वत्स #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #vatsa #hindavi #hindvi