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ये व्यवस्था यहां की अजीब है.. आ फोटूए ये खिंचवाएंग

ये व्यवस्था यहां की अजीब है.. आ फोटूए ये खिंचवाएंगे.. 
बलात्कृत पीड़ित ना होता किसी विशेष जाति धर्म उम्र या मज़हब का..
पर ये जो बचा हुआ है होने से बलात्कृत उसका बलात्कार करेंगे..
उंगलियां कभी किसी विशेष पर करेगें या दोष बलात्कृत पर ही मढ.. 
खुद को गोरवंतित दिखा समाचारपत्रों में ये सिर्फ़ मुआवजों का ऐलान भर करेंगे..
ना मुआवजों से लौट आती आबरू है 
क्या हम वो मुआवजा तुझको दे तो अस्मत लुटाएगा तू बाज़ार में... #izzazat 
#aorat 
#nyaya 
आज रूह कांप गयी की एक लड़की खुद को मेहफ़ूज़ नहीं समझ सकती ! हर इंसान के दिल दिमाग़ मे यही सोच बसी है की ये लड़की वो सामान है जिसे अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है !ज़ब आबरू ख़ाक हो जाय तो कोई भी शरीर जिन्दा लाश बन कर रह जाता है, उसे फिर फर्क नहीं पड़ता की वो आज क्या ज़िन्दगी जी रहा है !
एक लड़की खुद को ये समझा कर न्याय पाना चाहती है की कहीं तो ये दरिंदगी खत्म हो मगर नहीं ये खत्म नहीं होती !ये बढ़ती ही जा रही है !जिसका सब कुछ खत्म हो जाय उसे फिर से बेज्जत किया जाता है बार बार सवालों को इस तरह से दोहराया जाता है की न्याय तो दूर की बात है वह जीना तक नहीं चाहती !उसे बार बार मरना पड़ता है !
ज़ब वह गुहार लगाती है न्याय की तो वहाँ पर भी न्याय देवता दलीलें देते थकते नहीं है ! न्याय की किताब के पन्ने पलट पलट कर तारीखें बड़ाई जाती हैं और आबरू 
उछाली जाती है ! कहाँ है न्याय? कहाँ है 
नारी सम्मान? कहाँ है माँ बेटी बहन की इज़्ज़त? कहाँ है.....................????
ये व्यवस्था यहां की अजीब है.. आ फोटूए ये खिंचवाएंगे.. 
बलात्कृत पीड़ित ना होता किसी विशेष जाति धर्म उम्र या मज़हब का..
पर ये जो बचा हुआ है होने से बलात्कृत उसका बलात्कार करेंगे..
उंगलियां कभी किसी विशेष पर करेगें या दोष बलात्कृत पर ही मढ.. 
खुद को गोरवंतित दिखा समाचारपत्रों में ये सिर्फ़ मुआवजों का ऐलान भर करेंगे..
ना मुआवजों से लौट आती आबरू है 
क्या हम वो मुआवजा तुझको दे तो अस्मत लुटाएगा तू बाज़ार में... #izzazat 
#aorat 
#nyaya 
आज रूह कांप गयी की एक लड़की खुद को मेहफ़ूज़ नहीं समझ सकती ! हर इंसान के दिल दिमाग़ मे यही सोच बसी है की ये लड़की वो सामान है जिसे अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है !ज़ब आबरू ख़ाक हो जाय तो कोई भी शरीर जिन्दा लाश बन कर रह जाता है, उसे फिर फर्क नहीं पड़ता की वो आज क्या ज़िन्दगी जी रहा है !
एक लड़की खुद को ये समझा कर न्याय पाना चाहती है की कहीं तो ये दरिंदगी खत्म हो मगर नहीं ये खत्म नहीं होती !ये बढ़ती ही जा रही है !जिसका सब कुछ खत्म हो जाय उसे फिर से बेज्जत किया जाता है बार बार सवालों को इस तरह से दोहराया जाता है की न्याय तो दूर की बात है वह जीना तक नहीं चाहती !उसे बार बार मरना पड़ता है !
ज़ब वह गुहार लगाती है न्याय की तो वहाँ पर भी न्याय देवता दलीलें देते थकते नहीं है ! न्याय की किताब के पन्ने पलट पलट कर तारीखें बड़ाई जाती हैं और आबरू 
उछाली जाती है ! कहाँ है न्याय? कहाँ है 
नारी सम्मान? कहाँ है माँ बेटी बहन की इज़्ज़त? कहाँ है.....................????

#izzazat #Aorat #Nyaya आज रूह कांप गयी की एक लड़की खुद को मेहफ़ूज़ नहीं समझ सकती ! हर इंसान के दिल दिमाग़ मे यही सोच बसी है की ये लड़की वो सामान है जिसे अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है !ज़ब आबरू ख़ाक हो जाय तो कोई भी शरीर जिन्दा लाश बन कर रह जाता है, उसे फिर फर्क नहीं पड़ता की वो आज क्या ज़िन्दगी जी रहा है ! एक लड़की खुद को ये समझा कर न्याय पाना चाहती है की कहीं तो ये दरिंदगी खत्म हो मगर नहीं ये खत्म नहीं होती !ये बढ़ती ही जा रही है !जिसका सब कुछ खत्म हो जाय उसे फिर से बेज्जत किया जाता है बार बार सवालों को इस तरह से दोहराया जाता है की न्याय तो दूर की बात है वह जीना तक नहीं चाहती !उसे बार बार मरना पड़ता है ! ज़ब वह गुहार लगाती है न्याय की तो वहाँ पर भी न्याय देवता दलीलें देते थकते नहीं है ! न्याय की किताब के पन्ने पलट पलट कर तारीखें बड़ाई जाती हैं और आबरू उछाली जाती है ! कहाँ है न्याय? कहाँ है नारी सम्मान? कहाँ है माँ बेटी बहन की इज़्ज़त? कहाँ है.....................???? #YourQuoteAndMine