#izzazat#Aorat#Nyaya
आज रूह कांप गयी की एक लड़की खुद को मेहफ़ूज़ नहीं समझ सकती ! हर इंसान के दिल दिमाग़ मे यही सोच बसी है की ये लड़की वो सामान है जिसे अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है !ज़ब आबरू ख़ाक हो जाय तो कोई भी शरीर जिन्दा लाश बन कर रह जाता है, उसे फिर फर्क नहीं पड़ता की वो आज क्या ज़िन्दगी जी रहा है !
एक लड़की खुद को ये समझा कर न्याय पाना चाहती है की कहीं तो ये दरिंदगी खत्म हो मगर नहीं ये खत्म नहीं होती !ये बढ़ती ही जा रही है !जिसका सब कुछ खत्म हो जाय उसे फिर से बेज्जत किया जाता है बार बार सवालों को इस तरह से दोहराया जाता है की न्याय तो दूर की बात है वह जीना तक नहीं चाहती !उसे बार बार मरना पड़ता है !
ज़ब वह गुहार लगाती है न्याय की तो वहाँ पर भी न्याय देवता दलीलें देते थकते नहीं है ! न्याय की किताब के पन्ने पलट पलट कर तारीखें बड़ाई जाती हैं और आबरू
उछाली जाती है ! कहाँ है न्याय? कहाँ है
नारी सम्मान? कहाँ है माँ बेटी बहन की इज़्ज़त? कहाँ है.....................???? #YourQuoteAndMine