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ना धरती की तरह समथल है ना हवा की तरह अविरल है ना अ

ना धरती की तरह समथल है
ना हवा की तरह अविरल है
ना अग्नि की भांति ज्वलनशील है
उसका अस्तत्व तो इस धरती पर स्थीर है
उसका होना एक पीर है
वो  निरंतर बहती  नीर है। #नीर
ना धरती की तरह समथल है
ना हवा की तरह अविरल है
ना अग्नि की भांति ज्वलनशील है
उसका अस्तत्व तो इस धरती पर स्थीर है
उसका होना एक पीर है
वो  निरंतर बहती  नीर है। #नीर