अपनी तन्हाइयों से कुछ इस कदर मुहब्बत है हमें भीड़ में होते हुए भी तन्हा रहना पसंद करते हैं वो तन्हाइयां ही तो है जो मुझे मुझसे मिलाती हैं मेरी सख्शियत का मुझसे सही परिचय करातीं हैं साथ रहतीं हैं दिन रात परछाइयों की तरह सही और ग़लत का आयिना मुझे दिखाती हैं जबसे दोस्ती की है मैंने मेरी तन्हाइयों से ज़िन्दगी मुझे कुछ अलग सी नज़र आती है अपना अक्श ही काफ़ी है अब ज़िन्दगी बशर के लिए महफिलों ने भी तो मुझे सदा तन्हाइयां ही बांटी हैं अजनबी हो चले थे हम जिस आवो हवा से झरोंखें खुलने लगे हैं अब तो हर दिशा से सांसें भरने लगीं हैं अब ताज़ा हवा से ज़िन्दगी रास आने लगी है अब हमें हर तरह से। ।।।।।। Shilpi Vikram #Loneliness #तन्हाइयां