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*नहीं खाई ठोकरें सफ़र में तो मंज़िल की अहमियत

*नहीं खाई ठोकरें सफ़र में


 तो मंज़िल की अहमियत 

कैसे जानोगे 

अगर नहीं टकराए 'ग़लत' से 


तो 'सही' को कैसे पहचानोगे!*

           ✍️✍️✍️💐

©जय श्री राम
  आत्म चिंतन