चंदा और सितारे बैठे आपस में खुसफुस करते हैं देख-देख कर प्रीत हमारी लगता है ये भी जलते हैं आभा जब भी पड़े तुम्हारी अधरों की कलियाँ खिल जातीं मन के मानसरोवर में कुछ हंसनियाँ आकर इठलातीं क्या भावों को उपमा दूँ , उपमान सभी फीके लगते हैं सुखद पलों की तितली उड़-उड़ बैठे सुधियों के आँगन में नये-नये रंगों को लाकर बिखराती मेरे दामन में लगें दूधिया सी रातें अौ सिंदूरी से दिन खिलते हैं सपनों की मेंहदी, हथेलियाँ सुर्ख रचा मंगल गातीं हैं कोई नाम तुम्हारा ले तो अँखियाँ झट से मुड़ जातीं हैं तोड़ चुके अनुबंध स्वयं से इक दूजे में हम बसते हैं। #Light #Chand #taare #lamha