तुम बाबुल का घर छोड़ आयी मैं तुम्हें कोई दर्द होने नही दूँगा तुम तुलसी हो मेरे आंगन की मैं तुम्हारा अस्तिव कहीं खोने नही दूँगा वादा करता हूं आज वफ़ा का सबके सामने चाहे कोई बात हो जाये मैं तुम्हें कभी रोने नही दूँगा 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 ©Sethi Ji हमसफ़र भाग :- 2 हमसफ़र अगर सच्चा हो , राहें आसान हो जाती है पराये घर में भी सबके बीच , बेटी बन जाती हैं । यह अटूट विश्वास और प्यार होता है औरत के व्यक्तित्व पर