कड़ाके की धूप थी अब बारिश आगई लगता है तू मुझे याद कर मुस्कुरा गई ! अब तो राहत की हल्की हवा चली तड़पते आसमान में तू बनके बदली छा गई ! कब ऑफलाइन हुई कब ऑनलाइन आगई !