मैं एक हवा का झोंका हूँ तू शाख कोई बन जा जब मैं आऊँ धीरे से तू हौले से लहरा।। मैं कटी पतंग सी बावरी बेसुध, स्वच्छंद, अज्ञात दिखला दे मुझको कोई दिशा एक डोरी तू बन जा।। मैं अविरल सी एक नदिया हूँ तू धार मेरी बन जा ले जाऊँ मैं तुझको जिधर वहाँ साथ मेरे तू जा।। मैं बारिश की हल्की बूंदें तू ज़मीं ज़रा बन जा अज्ञानी सी मैं जब गिरूं बस ख़ुद में मुझको समा।। मैं कली कोई अलबेली सी तू भंवरा सा बन जा अपनी पीड़ा बतलाने को बस पास मेरे ही आ।। श्वेता ✍ ख़्याली दुनिया ❤ मैं एक हवा का झोंका हूँ तू शाख कोई बन जा जब मैं आऊँ धीरे से तू हौले से लहरा।। मैं कटी पतंग सी बावरी बेसुध, स्वच्छंद, अज्ञात