White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर भूल कर आ गए हैं जाते हैं कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं नाख़ुदा किस लिए डराते हैं इक हसीं आँख के इशारे पर क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं ©Jashvant #Alfaz#urdu poetry