मैं फिर भी तुमको चाहूँगा, हर सितम सह कर भी तेरी तुझसे रुसवा न करूँगा, मुसाफिर की तरह तेरी राह तकता रहुँगा, तेरा साथी बन कर न सही साया बन कर रहुँगा ख़्वाब को तेरी मंजिल अपनी बनाऊँगा तेरा हमसफर ना ही सही सफर ही बन जाऊँगा मै फिर भी तुमको चाहूँगा #Love