प्रेम जैसे एक नन्हा खरगोश जो एक छलांग में चांद नापता है यदि भरता है छलांगे दो तो सूर्य के रश्मिरथ को भी पीछे छोड़ देता है इसकी तीन निरंतर छलांगे लांघ जाती हैं अक्सर विश्व की सारी सभ्यताएं किन्तु प्रिय, ये आज भी लांघ नहीं पाता दो टूटे हृदय हमारे..! .......✍️✍️ प्रेम जैसे एक नन्हा खरगोश जो एक छलांग में चांद नापता है यदि भरता है छलांगे दो तो सूर्य के रश्मिरथ को भी पीछे छोड़ देता है इसकी तीन निरंतर छलांगे लांघ जाती हैं अक्सर विश्व की सारी सभ्यताएं