अरमान दबे दबे से थे मेरे , घायल था मन बेचारा किससे कहूँ किससे नहीं ? मन परेशान बेचारा घुटन भरी ज़िन्दगी थी, कलम ने थामी बाह मेरी सब लिख डाला ज़ज्बात को काग़ज़ पर उतारा सहारा दिया कलम ने "दोस्त" बन ये साथ रही मेरे तन्हा दिल की यह हमदर्द, हमराह बनी रही निखारा इसने मेरे मन में छिपे एक लेखक को मिलाया मुझे मुझसे, करायी इसने पहचान मेरी लिखता हूँ अब ज़ज्बात,दर्द, ज़िन्दगी सबकुछ कुछ अपनी ओर कुछ जो महसूस करता हूँ मैं लेखन में है वो "शक्ति" बदले जो इतिहास भी समाज बदले, बदली गलत "कुरीतियों" को भी रमज़ान :_ लेखन का महत्व #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkलेखनकामहत्व #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा #kalam #lekhak