इतनी निर्दयता इतनी क्रुरता ... एक बच्ची ही तो थी जरा भी दया नही अरे उसका चेहरा देखा होता महोब्बत से भर जाता तु उसकी मासुमियत को महसुस तो किया होता खुदा को अपने सामने पाता अरे दरिंदे उसकी सिसकीया भी नही सुना तुने किस मिट्टी से तेरा हदय बनाया ईश्वर ने एक पत्थर दिल इन्सान भी मासूम की मुस्कुराहट पर पिघल जाए दरिंदे तुने तो हैवानियत की पूरी हदे पार कर दी ऐसी क्या भुख जो मासुम को खा कर खत्म हुई उस नन्ही सी ऑखो मे ख्वाबभी देखना शुरु नही किया होगा अरे खुदा कोख में ही मार दे हम बेटियों को नही चाहिए ऐसी दर्दनाक मौत और खत्म करदे हमें ताकि ऐसे दारिदे पैदा ही न हो आज दिल रो रहा है बार बार एक ही सवाल जहन में आखिर क्यो और कब तक.... #NojotoQuote ..........