उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का, पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का। एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा, एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा। फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार, फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा। 🙎♀️ ©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''! #Alive Kab Tak Intezar karun...........🙎♀️😘