हम कहा थे इतने दिनों से खुद हमको ही मालूम न था ये वक्त भी क्या गुल खिलाती हे हमको कुछ याद ही नहीं ज़िन्दगी के कुछ पल भी अजीब सी होती है खुद ही सो जाती हे जागना चाह तो आंख खुली ही नहीं जब जागा तो कुछ याद्द ही नहीं हम कहा थे इतने दिनों से …खुद हमको ही मालूम न था …