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जीवन का उद्देश्य अपने जीवन का उद्देश्य जानना प्रत्

जीवन का उद्देश्य अपने जीवन का उद्देश्य जानना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है इसके अलावा मैं जीवन को सार्थक बनाना संभव नहीं है जीवन के उद्देश्य से साक्षात्कार में अध्याय आत्मा हमारा मार्गदर्शन करने में सक्षम है हमारी संस्कृति में ऐसे अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने जीवन की सार्थकता पर विस्तार से प्रकाश डाला है प्रत्येक युग और काल में वह प्रिय यह समझने का प्रयास करते हैं कि हमारे जीवन का मूल उद्देश्य क्या है राम भक्तों की शिखर संत एवं कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर खोजना आसान बना दिया उन्होंने रामचरितमानस में लिखा है कि जिन्हें हरि गति हृदय नहीं आनी जीवन सब समान से ही पानी आधार जिनके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति नहीं होती वह प्राणी जीवित रहने हुए भी सब के समान होता है तब रही है कि हृदय में भक्ति का होना ही हमारे जीवन होना अथवा जीवंत का परिणाम है और यही जीवन का मूल उद्देश्य भी है गुरु नानक देव जी ने भी इस परिणिता किया है अतिसुंदर कुली चतुर्मुखी ज्ञानी धन्यवाद अमृत तक कहीं नानक जी प्रीति नहीं भवन तथा यदि कोई व्यक्ति सुंदर कुलीन यशस्वी और धनवान भी हो तो वह भी उस पर चार संसारी ज्ञान से भी प्राप्त हो परंतु यह परमात्मा से प्रतीत नहीं है वह सच मृतक के समान है इसी प्रकार महान भाई ने भी जीवन की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा है कि जग में क्या किया धनपाल के पेट से है जो दिन धंधे गया रेनी गई सुख पल्लेटे उधार संसार में जीवन लेने के बाद जीवन भर क्या किया इस शरीर में खिलाया पिलाया पेट को बढ़ाया दिनभर सारणी क्रियाकलापों में गंवाया और राते शिकार बताई इस पर यही के ईश्वर भक्ति के बिना यह जीवन व्यर्थ है यदि जीवन को परम उद्देश्य परमात्मा की भक्ति है जिसमें कर्म के बंधन से मुक्त होना संभव है अन्यथा जीवन आत्मा को अनेक कल्पों तक अनेकानेक शरीर धारण कर भटकना पड़ता है

©Ek villain #Givan 

#BatBall
जीवन का उद्देश्य अपने जीवन का उद्देश्य जानना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है इसके अलावा मैं जीवन को सार्थक बनाना संभव नहीं है जीवन के उद्देश्य से साक्षात्कार में अध्याय आत्मा हमारा मार्गदर्शन करने में सक्षम है हमारी संस्कृति में ऐसे अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने जीवन की सार्थकता पर विस्तार से प्रकाश डाला है प्रत्येक युग और काल में वह प्रिय यह समझने का प्रयास करते हैं कि हमारे जीवन का मूल उद्देश्य क्या है राम भक्तों की शिखर संत एवं कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर खोजना आसान बना दिया उन्होंने रामचरितमानस में लिखा है कि जिन्हें हरि गति हृदय नहीं आनी जीवन सब समान से ही पानी आधार जिनके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति नहीं होती वह प्राणी जीवित रहने हुए भी सब के समान होता है तब रही है कि हृदय में भक्ति का होना ही हमारे जीवन होना अथवा जीवंत का परिणाम है और यही जीवन का मूल उद्देश्य भी है गुरु नानक देव जी ने भी इस परिणिता किया है अतिसुंदर कुली चतुर्मुखी ज्ञानी धन्यवाद अमृत तक कहीं नानक जी प्रीति नहीं भवन तथा यदि कोई व्यक्ति सुंदर कुलीन यशस्वी और धनवान भी हो तो वह भी उस पर चार संसारी ज्ञान से भी प्राप्त हो परंतु यह परमात्मा से प्रतीत नहीं है वह सच मृतक के समान है इसी प्रकार महान भाई ने भी जीवन की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा है कि जग में क्या किया धनपाल के पेट से है जो दिन धंधे गया रेनी गई सुख पल्लेटे उधार संसार में जीवन लेने के बाद जीवन भर क्या किया इस शरीर में खिलाया पिलाया पेट को बढ़ाया दिनभर सारणी क्रियाकलापों में गंवाया और राते शिकार बताई इस पर यही के ईश्वर भक्ति के बिना यह जीवन व्यर्थ है यदि जीवन को परम उद्देश्य परमात्मा की भक्ति है जिसमें कर्म के बंधन से मुक्त होना संभव है अन्यथा जीवन आत्मा को अनेक कल्पों तक अनेकानेक शरीर धारण कर भटकना पड़ता है

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