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मुझे नहीं जरूरत किसी बहाने की अब तुम्हें भी नहीं ज

मुझे नहीं जरूरत किसी बहाने की
अब तुम्हें भी नहीं जरूरत मुझे बुरा बताने की
हम समझ रहे सच्चाई बातों की
जो नहीं देख पा रहा उस पर घमंड की चादर थी
जो सच देख रहा उसकी गलती ठोकर खाने की थी
बात समझ नासमझ की महज नहीं थी
एक को रिश्ते सिर्फ बनाने की जल्दी थी
दूसरे को हमेशा रिश्ते निभाने की तमन्ना थी
उम्मीदें फिर मृगतृष्णा सी लगती....
क्यों हर रिश्ते का प्रारंभ सुखद....
और अंत सिर्फ दुःख होता हैं?
दु:ख भी अधिक उसके हिस्से....
जिसने महत्व दिया होता हैं....
और बिना महत्व और समय दिये....
क्या कोई रिश्ता बढ़ता हैं...?
क्या शुरुआत हर रिश्ते में दोनों और से हो,
फिर जिस बीज से वृक्ष लगा वही बुरा हो।

©Priya Gour
  🌸
रिश्ते उस पुराने लोहे समान हैं जिस पर अपनत्व और स्नेह के अभाव में जंग लग ही जाता हैं।

🔸ये सिर्फ कविता है पर ये सिर्फ कल्पना नहीं अर्थात ये सभी के जीवन की वास्तविकता है 🔸
#20April 3:08
#poetrymonth 
#realityoflife
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator

🌸 रिश्ते उस पुराने लोहे समान हैं जिस पर अपनत्व और स्नेह के अभाव में जंग लग ही जाता हैं। 🔸ये सिर्फ कविता है पर ये सिर्फ कल्पना नहीं अर्थात ये सभी के जीवन की वास्तविकता है 🔸 #20April 3:08 #poetrymonth #realityoflife

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