मूक समाजी रवैए को जब पर बेअक्ल का लगता है, जब अग्रज ही मनुज के स्वाभिमान को हरता है, दिल एक नहीं सौ बार को भिरू सा मरता है, ये तत्क्षण ही परिणाम संघर्ष का नीखरा जाता हैं क्या होगा मेरे बाद ये सोच दिल घबराता है। तुम जड़ मती के मूल बन के रह जाओगे, खुद पे अचूक होने के विचार से चूक जाओगे, नीर की वीर वो नरिया हुआ करती है पुराणों में, विश्वास का गला यहीं मतलब से रेता जाता है, क्या होगा तेरा मेरे बाद सोच के दिल घबराता है। एक रंग में लपेटे हुए अपने जीवन को सीखो भरना, मेरे बाद ओ लाडले तुझे पड़ेगा अकेले जीना मरना, मैं वेदों का ज्ञानी नहीं पर मन में एक ईश का है धरना, मुझ बिन अकेले तुम मन मेरा सहम सा जाता है, क्या होगा तेरा मेरे बाद सोच के दिल घबराता है। कभी भविष्य को लेकर कभी ख़ुद को लेकर कभी किसी और को लेकर कभी यूँही दिल घबराता है.. अपने डर को टटोलें, Collab करें YQ Didi के साथ।