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करवट मैंने वादियों मे आवाज गूंजते देखा है नींदों

करवट

मैंने वादियों मे आवाज गूंजते देखा है
नींदों से रूठे आँखों को सपने बुनते देखा है
मैंने घर की आंगन मे धूप की पहली किरण को तापति दुपहरी मे बदलते देखा है
गरमी मे उसी से भागते और ठंड मे उसी से हाथ सेकते देखा है
हा! मैंने ज़िंदगी को करवट बदलते देखा है
मैंने अपनो को बेगाने और बेगानो को अपना होते देखा है
मैंने रिश्तों की नाजुक डोर को टूटते देखा है
उसी टूटी उम्मीद के साथ जीते और रिश्तों मे उलझे ज़िंदगी को दम तोड़ते हुए भी देखा है
हा! मैंने ज़िंदगी को करवट बदलते देखा है।। 

-AKS #karwat
करवट

मैंने वादियों मे आवाज गूंजते देखा है
नींदों से रूठे आँखों को सपने बुनते देखा है
मैंने घर की आंगन मे धूप की पहली किरण को तापति दुपहरी मे बदलते देखा है
गरमी मे उसी से भागते और ठंड मे उसी से हाथ सेकते देखा है
हा! मैंने ज़िंदगी को करवट बदलते देखा है
मैंने अपनो को बेगाने और बेगानो को अपना होते देखा है
मैंने रिश्तों की नाजुक डोर को टूटते देखा है
उसी टूटी उम्मीद के साथ जीते और रिश्तों मे उलझे ज़िंदगी को दम तोड़ते हुए भी देखा है
हा! मैंने ज़िंदगी को करवट बदलते देखा है।। 

-AKS #karwat