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समय से तुम अंजान प्रिये घड़ी है सबकी हांथों में,

समय से तुम अंजान प्रिये 
घड़ी है सबकी हांथों में,
 वक़्त की किसको पहचान प्रिये,
ज्ञान-विज्ञान सब जान लिया,
क्या वक़्त गए हो जान प्रिये,
पहचान गया जो समयगति ,
वहीं बना है महान प्रिये।
समय के जो है साथ चला,
उसको ही मिला सम्मान प्रिये।
समय हाँथ से निकल गया,
मोबाइल में सबका ध्यान प्रिये।
समय अनुकूल कहाँ होगा,
नहीं चलोगे समय के समान प्रिये।
समय गति है तेज बहुत,
काल सा कौन गतिमान प्रिये।
मिला है छोटा सा जीवन,
क्यों करते हो अभिमान प्रिये।
कालगति जो जान गया,
उसने किया काल सन्धान प्रिये।
समय के रथ पर बैठा जो,
वहीँ तो बना महान प्रिये।
समय के साथ चला है जो, बस उसे मिला सम्मान प्रिये।
समय रखेगा ध्यान तेरा, समय का रखो तुम ध्यान प्रिये।
काल से कोई बच न सका, है समय बड़ा बलवान प्रिये।

©Ganesh Kumar Verma
  #samy