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आइये कुछ अच्छा पढ़ते हैं।। कहीं दूर ले चल मुझे

आइये कुछ अच्छा पढ़ते हैं।।

कहीं दूर ले चल मुझे
  
ऐ दिल चल कहीं दूर ले चल मुझे,
जहाँ फिर कोई ना तोड़ सके तुझे।

एक खामोश झील हो, एक झरना हो,
पहाड़ों की गोद से उसे बिखरना हो।

खुले आसमां में तारों तले सोएं हम,
हसें भी वहीँ, उसी माटी में रोएं हम।

छोटा सा आशियां हो सर छुपाने को,
कोई अपना ही गीत हो गुनगुनाने को।

रिश्तों का बोझ ना हो बेड़ियाँ बन कर,
कलम से निकलें लफ्ज़ खुशियाँ बन कर।

ना तलाश हो ना राह देखें किसी की हम,
ना उम्मीदें हों, ना हो सपने टूटने का ग़म।

नाज़ुक ओस की बूंदों से नज़रें मिलाएं,
पत्तों की चाद्दर से कूद कर वो इठलाएं।

खामोश है दरिया, पर दूर नहीं जाता,
दिल तोड़ने का हूनर इसे नहीं आता।

हवाओं का एहसास भी महोब्बत सा हैं,
माटी में लोटना जैसे एक इबाद्दत सा है।

वो पहली बारिश में बस भीगते ही जाना,
बूंदों का तालाब में कूद कर टिमटिमाना।

ऐसी एक दुनिया में जल्द ही ले चल मुझे,
ये नाउम्मीद सांसें जाने कब छोड़ दे मुझे।

ऐ दिल चल अब कहीं दूर ले चल मुझे,
बस दूर बहुत दूर कहीं भी ले चल मुझे।

लेखक ~प्रिंस कुमार prince Raj...
आइये कुछ अच्छा पढ़ते हैं।।

कहीं दूर ले चल मुझे
  
ऐ दिल चल कहीं दूर ले चल मुझे,
जहाँ फिर कोई ना तोड़ सके तुझे।

एक खामोश झील हो, एक झरना हो,
पहाड़ों की गोद से उसे बिखरना हो।

खुले आसमां में तारों तले सोएं हम,
हसें भी वहीँ, उसी माटी में रोएं हम।

छोटा सा आशियां हो सर छुपाने को,
कोई अपना ही गीत हो गुनगुनाने को।

रिश्तों का बोझ ना हो बेड़ियाँ बन कर,
कलम से निकलें लफ्ज़ खुशियाँ बन कर।

ना तलाश हो ना राह देखें किसी की हम,
ना उम्मीदें हों, ना हो सपने टूटने का ग़म।

नाज़ुक ओस की बूंदों से नज़रें मिलाएं,
पत्तों की चाद्दर से कूद कर वो इठलाएं।

खामोश है दरिया, पर दूर नहीं जाता,
दिल तोड़ने का हूनर इसे नहीं आता।

हवाओं का एहसास भी महोब्बत सा हैं,
माटी में लोटना जैसे एक इबाद्दत सा है।

वो पहली बारिश में बस भीगते ही जाना,
बूंदों का तालाब में कूद कर टिमटिमाना।

ऐसी एक दुनिया में जल्द ही ले चल मुझे,
ये नाउम्मीद सांसें जाने कब छोड़ दे मुझे।

ऐ दिल चल अब कहीं दूर ले चल मुझे,
बस दूर बहुत दूर कहीं भी ले चल मुझे।

लेखक ~प्रिंस कुमार prince Raj...
princekumar8659

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