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जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकल

जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

©दास्तान ए मोहब्बत
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