तुम्हें मैंने बहुत चाहा था वक़्त को वहीं रोकना चाहा था कैसी अनजान थी मैं रेत को मुट्ठी में बंद करना चाहा था तुम दूर हुये मुझसे जिस क़दर किसी भी पल मैंने वह न चाहा था पीछे हटे जो क़दम 'निर्झरा' उनका हर पग पर साथ चाहा था ज़्यादा की उम्मीद कहाँ की मैंने तुम्हारे साथ बस दो पल हँसना चाहा था.! 🌹 तुम्हें मैने बहुत चाहा था वक्त को वहीं रोकना चाहा था.. #चाहत #योरकोट_हिंदी #चाहत_ए_इश्क #तुम्हें #वक्त़ #mनिर्झरा