शून्य तकरारों में चैन मिले एक मौन में मेरी रैन कटे, हम जोड़ चुके हैं सब हिस्से दिल को अपने ना जोड़ सके, आंख मूंदे तो यादों में आंख खोलें तो वादों में, हम कितना कुछ सच मान लिए उन प्यारी प्यारी बातों में, जहां बोल के उसने बंजर मन सुंदर सा वन कर डाला था, और गले लगा के ये जीवन चंदन वंदन कर डाला था, अब विरह वेदना झेल रहीं उन कविताओं संग रहता हूं, मैं खुद स्थिर व्यक्तित्व हुआ पर उन यादों में बहता हूं, अब यहीं पे तन्हा बैठा हूं ख़ुद से बस खुद की कहता हूं, इस धरा जहां हैं शून्य प्रेम मैं उसी जगह पे रहता हूं | ©Shivam Nahar #shoonya #kavita