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जब ना सत था , ना असत था जब ना कोई रज था, ना व्योम

जब ना सत था , ना असत था
जब ना कोई रज था, ना व्योम
 जब ना थी कोई ध्वनि, ना ॐ। 
फिर किस तत्व ने श्रृष्टि बनाई ?
  और उस तत्व को बनाया कौन?
 उसकी जननी कौन, जनक कौन ?

जब ना मृत्यु थी, ना उसका अभाव
 जब ना था रात और दिन का प्रभाव
  था कुछ जो अनादि था, स्वयंभू था 
  स्वध्या ही होना था उसका स्वभाव

  जब अंधकार सा था पर  था उससे गहरा
 जिसका हर जगह लगा हुआ था पहरा 
  था शून्य सा शायद,हमारे समझ से परे 
 जो था सब था उस तत्व के इर्द गिर्द पड़े 
फिर उसी तत्व से जन्म हुआ महत का
 जिससे बाद में जन्म हुआ सत,असत का

 जैसे हमारे  मन के अंदर है इच्छाएं वर्तमान
  उसी प्रकार महत में इच्छाएं उत्पन्न हुई फिर 
  इच्छाओं से कालांतर में हुआ सबका निर्माण


एक विस्फोट हुआ फिर रश्मियां फैली चारो ओर
कुछ ऊपर गई, कुछ नीचे गई, पहुंच गई हर छोर
 इच्छाएं बंधने लगी फिर आपस में,जिससे कण बने 
पदार्थ बना, अंतरिक्ष बना ,गुरुत्व बना और क्षण बने
तारे बने, सितारे बने, ग्रह बने, वायु बना और जीवन बने 

पर वह तत्व कैसे बना जो था शुरू से विद्धमान
कौन जानता है शुरू से की कैसे हुई श्रृष्टि निर्माण
कौन है जो प्रवचन दे इस पर ,किसपे है इतना ज्ञान 

देवता भी बता ना पाएंगे, शुरू से थे नही वो भी वर्तमान 
देवता हो या ऋषिगण,वो बस लगा पाएंगे केवल अनुमान

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #watchtower #ऋग्वेद #Nasadiyasukta
जब ना सत था , ना असत था
जब ना कोई रज था, ना व्योम
 जब ना थी कोई ध्वनि, ना ॐ। 
फिर किस तत्व ने श्रृष्टि बनाई ?
  और उस तत्व को बनाया कौन?
 उसकी जननी कौन, जनक कौन ?

जब ना मृत्यु थी, ना उसका अभाव
 जब ना था रात और दिन का प्रभाव
  था कुछ जो अनादि था, स्वयंभू था 
  स्वध्या ही होना था उसका स्वभाव

  जब अंधकार सा था पर  था उससे गहरा
 जिसका हर जगह लगा हुआ था पहरा 
  था शून्य सा शायद,हमारे समझ से परे 
 जो था सब था उस तत्व के इर्द गिर्द पड़े 
फिर उसी तत्व से जन्म हुआ महत का
 जिससे बाद में जन्म हुआ सत,असत का

 जैसे हमारे  मन के अंदर है इच्छाएं वर्तमान
  उसी प्रकार महत में इच्छाएं उत्पन्न हुई फिर 
  इच्छाओं से कालांतर में हुआ सबका निर्माण


एक विस्फोट हुआ फिर रश्मियां फैली चारो ओर
कुछ ऊपर गई, कुछ नीचे गई, पहुंच गई हर छोर
 इच्छाएं बंधने लगी फिर आपस में,जिससे कण बने 
पदार्थ बना, अंतरिक्ष बना ,गुरुत्व बना और क्षण बने
तारे बने, सितारे बने, ग्रह बने, वायु बना और जीवन बने 

पर वह तत्व कैसे बना जो था शुरू से विद्धमान
कौन जानता है शुरू से की कैसे हुई श्रृष्टि निर्माण
कौन है जो प्रवचन दे इस पर ,किसपे है इतना ज्ञान 

देवता भी बता ना पाएंगे, शुरू से थे नही वो भी वर्तमान 
देवता हो या ऋषिगण,वो बस लगा पाएंगे केवल अनुमान

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #watchtower #ऋग्वेद #Nasadiyasukta