चाँद की बातें... सुनो चाँद तुम खुद पर इतना क्यों इतराते हो ? किस कहानी का नायक तुम खुद को बताते हो? क्या रहस्य है चेहरे पर सजी हुई मुस्कान का? जानूँ क्या क्या भेद है तुम्हारे इस अभिमान का? क्या है बात वह जो तुम्हें विशिष्ट बनाती है? क्यों ये सारी दुनिया तुम्हारे ही गुण गाती है ?