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गहरा हो समंदर, ऊंचा हो आसमान..!!कंकरीट के जंगल में

गहरा हो समंदर,
ऊंचा हो आसमान..!!कंकरीट के जंगल में,
कुछ फूल भी खिल सके....
मानस -मन के उपवन में...!!

©सोमराज मेघपूत धरणीधर Praveen Jain "पल्लव" चंद्रवीर गर्ग आबदार Rahul Bhardwaj कोतवाली बाड़मेर
गहरा हो समंदर,
ऊंचा हो आसमान..!!कंकरीट के जंगल में,
कुछ फूल भी खिल सके....
मानस -मन के उपवन में...!!

©सोमराज मेघपूत धरणीधर Praveen Jain "पल्लव" चंद्रवीर गर्ग आबदार Rahul Bhardwaj कोतवाली बाड़मेर