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रूस और यूक्रेन के बीज जारी युद्ध के कारण पूरा विश्

रूस और यूक्रेन के बीज जारी युद्ध के कारण पूरा विश्व चिंता में है क्योंकि इस विश्व शांति भंग हो सकती है उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 सोओगी संग के विघटन के साथ यूक्रेन का जन्म स्वतंत्र देश के रूप में जन्म संग्रह और राष्ट्रपति चुनाव के साथ हुआ था यूक्रेन को पूरी उम्मीद थी कि रूसी आक्रमण के बाद अमेरिकी उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे लेकिन अमेरिका द्वारा सैन्य मदद से इनकार करने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिका की भी आलोचना की है ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में कहीं से भी मदद ना मिलने के कारण ताकतवर उसके साथ यूक्रेन की सेना आत्मसमर्पण करते ही वर्तमान संकट के बारे में यदि निरपेक्ष तरीके से देखा जाए तो ऊपरी तौर पर ऐसा लगता है कि यहां किसी देश और आक्रमण है जैसे भारत ने कहा भी है कि सभी विवादों को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है और ऐसा होना भी चाहिए लेकिन यदि रोज के नजरिए से इस पर विचार किया जाए तो ध्यान में आता है किसी युद्ध के समय से लेकर अभी तक एक दूसरे रूट और दूसरी ओर अमेरिका उसके मित्र ने नाटो देशों के बीच लगातार एकता नथानी बनी हुई है इसमें कोई संदेह नहीं है कि योग द्वारा समूह में शामिल होने से उसकी सीमाओं पर उपस्थित हो जाएगा ऐसे में रूस कभी भी नहीं चाहेगा कि किसी भी हालत में योग नाटो का सदस्य बने साथ ही यह पहली बार नहीं है यूक्रेन के साथ रूस के संबंध में टकराव की आई है जाटों के साथ नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया है तब तक उसने उसका प्रतिकार किया है

©Ek villain #युद्ध की कूटनीति और संबंधित अर्थशास्त्र

#Rose
रूस और यूक्रेन के बीज जारी युद्ध के कारण पूरा विश्व चिंता में है क्योंकि इस विश्व शांति भंग हो सकती है उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 सोओगी संग के विघटन के साथ यूक्रेन का जन्म स्वतंत्र देश के रूप में जन्म संग्रह और राष्ट्रपति चुनाव के साथ हुआ था यूक्रेन को पूरी उम्मीद थी कि रूसी आक्रमण के बाद अमेरिकी उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे लेकिन अमेरिका द्वारा सैन्य मदद से इनकार करने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिका की भी आलोचना की है ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में कहीं से भी मदद ना मिलने के कारण ताकतवर उसके साथ यूक्रेन की सेना आत्मसमर्पण करते ही वर्तमान संकट के बारे में यदि निरपेक्ष तरीके से देखा जाए तो ऊपरी तौर पर ऐसा लगता है कि यहां किसी देश और आक्रमण है जैसे भारत ने कहा भी है कि सभी विवादों को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है और ऐसा होना भी चाहिए लेकिन यदि रोज के नजरिए से इस पर विचार किया जाए तो ध्यान में आता है किसी युद्ध के समय से लेकर अभी तक एक दूसरे रूट और दूसरी ओर अमेरिका उसके मित्र ने नाटो देशों के बीच लगातार एकता नथानी बनी हुई है इसमें कोई संदेह नहीं है कि योग द्वारा समूह में शामिल होने से उसकी सीमाओं पर उपस्थित हो जाएगा ऐसे में रूस कभी भी नहीं चाहेगा कि किसी भी हालत में योग नाटो का सदस्य बने साथ ही यह पहली बार नहीं है यूक्रेन के साथ रूस के संबंध में टकराव की आई है जाटों के साथ नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया है तब तक उसने उसका प्रतिकार किया है

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